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राजस्थान रोडवेज में ‘फर्जी डिग्री’ से पक्की नौकरियां, शिकायतों पर कुंडली मारे बैठा प्रबंधन, जानें पूरा मामला

जयपुर: राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में पेपरलीक कर सरकारी नौकरी हासिल करने के कई मामले उजागर हुए हैं। इन मामलों में सरकार ने सख्त कार्रवाई भी की है। जबकि राजस्थान रोडवेज में इसकी तस्वीर ठीक उलट है। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने के बाद कुछ कार्मिक पदोन्नत तक हो चुके हैं लेकिन जांच और कार्रवाई के नाम पर रोडवेज प्रबंधन की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है।

मृतक आश्रित कोटे में नौकरी, दस्तावेज फर्जी:

राजस्थान रोडवेज में अनुकपा नियुक्तियों के नाम पर फर्जी डिग्री के सहारे नौकरियां हासिल करने के मामले में जांच की रफ्तार इतनी सुस्त है कि कई महीनों बाद भी दूध का दूध, पानी का पानी नहीं हो पाया है। ऐसे कई रोडवेज कार्मिक संदिग्ध डिग्रियों के बूते नौकरी में आए और अब पदोन्नति भी पा चुके हैं। बीते डेढ़ साल में रोडवेज मुख्यालय तक दर्जनों शिकायतें पहुंच चुकी हैं। सामने आया कि दर्जनभर से ज्यादा सहायक यातायात निरीक्षकों ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के समय संदिग्ध डिग्रियां लगाई थीं, जिनमें कई डिग्रियां बाहरी राज्यों से हैं और यूजीसी की मान्यता सूची से बाहर हैं।

सीटू प्रदेश अध्यक्ष पर भी आरोप:

जयपुर में राजस्थान रोडवेज वर्क्स यूनियन सीटू के प्रदेश अध्यक्ष सतवीर सिंह चौधरी- चालक जयपुर आगार में तैनात है। इनकी मार्कशीट, जन्मतिथि, लाइसेेंस जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत मुख्यालय स्तर पर हुई है। दस्तावेजों में फर्जीवाड़े की शिकायत पर रोडवेज प्रबंधन कार्रवाई के बजाए चुप्पी साधे बैठा है।

विधानसभा में भी ‘गलत बयानबाजी:

जुलाई-2024 में विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्री से पिछले पांच साल में किसी भी नियुक्ति से इनकार किया, जबकि हकीकत इससे अलग है। कई नियुक्तियां इन्हीं डिग्रियों के आधार पर होने का संदेह हैं।

इन कार्मिकों की भी शिकायत:

अनिल सेवदा ने चूरू आगार में नियुक्ति के समय ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्री लगाई। शिकायत पर जांच शुरू हुई, पर अब तक कोई निष्कर्ष नहीं।

निरंजन शर्मा, अन्नामलाई विश्वविद्यालय की एमबीए डिग्री लगाकर नौकरी में आए और अब आगार के चीफ मैनेजर हैं। उनके मामले में भी शिकायत हुई थी। 

जयदीपसिंह राठौड़, जिनके महाराष्ट्र और मेवाड़ यूनिवर्सिटी से आए दस्तावेज संदिग्ध पाए गए, जो एक डिपो में मुख्य प्रबंधक बन चुके हैं।

डिग्री संदेह के घेरे में, नियुक्ति की अनुशंसा:

साल-2010 के बाद यूजीसी ने कई ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा संस्थानों की डिग्रियों को मान्यता न देने का निर्देश दिया, फिर भी रोडवेज के कुछ अधिकारी इन डिग्रियों को सही ठहराते हुए नियुक्तियों की सिफारिश करते रहे। चूरू आगार के मुख्य प्रबंधक ने ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की बीबीए डिग्री को यूजीसी के हवाले से सही मानते हुए 2024 में नियुक्ति की अनुशंसा कर डाली, जबकि इस यूनिवर्सिटी की डिग्रियां संदेह के घेरे में हैं।

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