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राजस्थान में चारागाह अतिक्रमण पर सख्ती: सरकार ने बनाई कार्ययोजना, पंचायतों को दिए निर्देश

राजस्थान : जयपुर

जयपुर: राजस्थान सरकार ने गांवों में वर्षों से हो रहे चारागाह भूमि अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। पंचायती राज विभाग ने इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर निर्देश जारी कर दिए हैं। अब चारागाह भूमि को मुक्त कराने के साथ ही पशुओं के लिए चारा-पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी। पंचायती राज विभाग ने सभी ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र की चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त कार्रवाई करें। विभाग के उपायुक्त एवं उपशासन सचिव प्रथम इंद्रजीत सिंह ने आदेश में स्पष्ट किया है कि कई पंचायतें इस दिशा में अब तक गंभीरता नहीं दिखा रही हैं, जो कि नियमों का उल्लंघन है।

नियम और समिति का गठन:

राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के तहत, प्रत्येक ग्राम पंचायत में पांच सदस्यीय चरागाह विकास समिति का गठन अनिवार्य है। इसकी अध्यक्षता वार्ड पंच करेगा, जबकि चार सदस्य ग्राम सभा द्वारा चुने जाएंगे। यह समिति चारागाह भूमि के संरक्षण, विकास और अतिक्रमण रोकथाम की जिम्मेदारी उठाएगी।

छह-छह महीने में सर्वे अनिवार्य:

नियम 165 के तहत जनवरी और जुलाई माह में चरागाह, आबादी भूमि व तालाबों पर अतिक्रमण का सर्वे कराया जाना जरूरी है। इसके बाद विधिसम्मत तरीके से नोटिस, निषेधाज्ञा, बेदखली और जरूरत पड़ने पर पुलिस सहायता से अतिक्रमण हटाया जाएगा।

जिला स्तर पर भी निगरानी:

जिला प्रमुख की अध्यक्षता में जिला स्तरीय बंजर भूमि एवं चरागाह विकास समिति का गठन किया गया है, जिसकी निगरानी में यह कार्य होगा। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इसके नोडल अधिकारी होंगे।

10 सबसे अधिक अतिक्रमण प्रभावित पंचायतों की सूची तलब:

विभाग ने सभी जिलों से ऐसी 10 ग्राम पंचायतों की सूची मांगी है जहां सबसे ज्यादा चरागाह भूमि पर कब्जा है। इसमें खसरा संख्या, कब्जे का क्षेत्रफल और संबंधित जानकारी शामिल होगी।

शपथ पत्र और नियमित रिपोर्टिंग अनिवार्य:

ग्राम विकास अधिकारियों से शपथ पत्र लिया जाएगा कि उन्होंने सर्वे पूरा कर लिया है और कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है। इससे पहले भी 3 जनवरी 2025 को ऐसे निर्देश जारी हुए थे, लेकिन पालन नहीं हुआ। अब नियमित रूप से विभाग को रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम न केवल पशुधन के लिए राहतभरा होगा बल्कि गांवों में चरागाह भूमि के संरक्षण को भी मजबूत बनाएगा। प्रशासनिक निगरानी के साथ-साथ ग्राम समितियों की जिम्मेदारी भी अब पहले से ज्यादा तय हो गई है।

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