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पेपर लीक मामले में सरकार नहीं ले पाई फैसला, डेडलाइन पूरी; आज हाइकोर्ट में अहम सुनवाई

राजस्थान में 2021 सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई 26 मई को की थी और सरकार को अतिरिक्त समय देते हुए 1 जुलाई से पहऐ निर्णय करने के निर्देश दिए थे।

राजस्थान में 2021 सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा पेपर लीक केस में उच्च न्यायालय में अहम सुनवाई है। मामले में उच्च न्यायालय की ओर से सरकारी निर्णय के लिए डेडलाइन आज पूरी हो चुकी है। अब उच्च न्यायालय भर्ती को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं हो सकता है। 

हाई कोर्ट ने इस एपिसोड में सरकार की मांग पर दो बार अतिरिक्त समय दिया। पिछली समीक्षा 26 मई को हुई थी। जिसमें उच्च न्यायालय ने सरकार को 1 जुलाई से पहले मामले में अंतिम निर्णय लेने की अनुमति दी थी। पिछली समीक्षा में सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे थे एजी विज्ञान शाह ने कोर्ट को बताया था कि सीएम भजनलाल शर्मा दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में शामिल हुए थे इसलिए इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया। ऐसे में अंतिम फैसले के लिए कोर्ट से और समय मांगा गया था। इसके बाद कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए अब 1 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख दी थी।

सरकार की ओर से सामाख्यात भर्ती को लेकर साकीत साकीत सब समिति ने 20 मई को बैठक की थी। समिति के संयोजक और कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि सभी समिति ने पहले ही इस मामले में अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी थी। 

भर्ती को लेकर पेपर लीक का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में कई भर्तियां की गईं। दावा किया गया कि पेपर लाइक से करीब 8 लाख कलाकारों के साथ अन्याय हुआ है। लेकिन स्कूली बच्चों के परिवार इस तर्क को पूरी तरह से बता रहे हैं। बबूल का कहना है कि 8 लाख ने आवेदन जरूर किया था, लेकिन 4.25 लाख रुपये तो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए। असल में सिर्फ 3.83 लाख करोड़ रुपये के रिव्यू में बैठे थे। इनमें से सिर्फ 20 हजार ही चॉइस और इंटरव्यू देश तक।    

859 वर्ष से 436 वर्ष पहले सरकारी सेवा में पीडीएफ़ दस्तावेज़ का डिब्बा था। इनसे 236 ने प्रोबेशन पूरा होने से पहले ही नौकरी छोड़ दी। 40 ने सेंट्रल समुद्र तट तक के पद को त्याग दिया है, जबकि 135 तो दो या अधिक स्थानों पर होने वाले अंक के बावजूद असामाद पद को चुना गया है। ऐसे में वैल्युएबल योग्यता को आधार बनाकर अलग करना अन्याय होगा।

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