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सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट की फटकार:शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं? प्रमुख सचिव शपथ पत्र देकर बताए- दो साल क्या किया?

जयपुर

जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने धरियावद (Dhariyabad) क्षेत्र के 11 स्कूलों में बुनियादी ढांचे और टीचर्स की भारी कमी को लेकर दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर कड़ा रुख अपनाते हुए शिक्षा विभाग और वित्त विभाग को आड़े हाथों लिया है। अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले दो साल से स्कूलों में लगभग 50% शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं और इन कमियों को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने 25 जुलाई को मौखिक निर्देशों के बाद प्रतापगढ़ की जिला कलेक्टर अंजलि राजोरिया को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आदेश दिया। हालांकि, इससे पहले प्रमुख सचिव की ओर से कोर्ट के समक्ष झालावाड़ जिले में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण वर्चुअल मोड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में असमर्थता जताई थी। इसके बाद कोर्ट ने प्रतापगढ़ कलेक्टर को वर्चुअल मोड में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे।

50% पद खाली, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं?

हाईकोर्ट ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से ही यह स्पष्ट है कि लगभग 50% रिक्तियां अभी भी खाली हैं। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “यह ज्ञात नहीं है कि पिछले दो वर्षों से अपने ही जवाब के साथ दायर आंकड़ों में बताई गई कमियों को दूर करने के लिए और क्या कदम उठाए गए हैं।” कोर्ट ने महसूस किया कि इन कमियों को ठीक करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरुरत है।

कलेक्टर व प्रमुख सचिव को फटकार, दो सप्ताह में शपथ पत्र तलब

कोर्ट ने प्रतापगढ़ जिला कलेक्टर और प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि वे एक विस्तृत शपथ पत्र (detailed affidavit) दाखिल करें, जिसमें पिछले दो वर्षों में उठाए गए कदमों और किए गए सुधारों का विवरण हो। बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से शौचालयों से संबंधित कमियों के संबंध में, उन्हें शपथ पत्र के अलावा पिछले दो वर्षों में किए गए कार्यों की डिजिटल तस्वीरें भी जमा करने का निर्देश दिया गया है।

प्रमुख सचिव को यह भी स्पष्ट करना होगा कि लंबे समय से खाली पड़े रिक्त पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। यह शपथ पत्र और तस्वीरें दो सप्ताह के भीतर दाखिल करनी होंगी।

वित्त विभाग की उदासीनता पर भी सवाल

सुनवाई के दौरान, जिला कलेक्टर ने वर्चुअल माध्यम से बताया कि उन्होंने बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने के लिए धन आवंटित करने हेतु वित्त विभाग से अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस पर, हाईकोर्ट ने वित्त विभाग को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि वह जिला कलेक्टर के धन जारी करने के अनुरोध पर तत्काल विचार कर आवश्यक धनराशि जारी करे, ताकि सुधारात्मक कार्यों में कोई बाधा न आए। उठाए गए कदमों को इस संबंध में शपथ पत्र का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त 2025 को

यह याचिका गुलाबचंद मीणा द्वारा दायर की गई थी और इसमें राजस्थान सरकार के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है। इस जनहित याचिका में धारियाबाद क्षेत्र की 11 सरकारी स्कूलों में शौचालय, भवन व अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव और टीचर्स की कमी जैसी समस्याओं को उठाया गया था। इसमें सरकार द्वारा दी गई जानकारी को स्पष्ट नहीं होना बताते हुए कोर्ट ने साक्ष्यों के साथ 12 अगस्त तक शपथ पत्र पेश करने को कहा है। अदालत ने आगे स्पष्ट किया है कि दस्तावेज़ जमा न करने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।

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