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इजरायल-ईरान युद्ध: तेल की कीमतों में उछाल, क्या है भारत सरकार की तैयारी?

इजरायल-ईरान युद्ध से तेल बाजार में उथल-पुथल। भारत के 40% तेल आयात मध्य पूर्व से, कीमतों में ₹3-5 की वृद्धि संभव। सरकार के पास 74 दिन का भंडार।

इजराइल इयान वॉर के बीच एक चीज जो ग्लोबल मार्केट को खत्म हो गई है और वो है तेल की कीमत। ये वो फैक्टर है, जिसने ग्लोबल एंटरप्राइजेज में विस्फोट-स्टार्ट निर्माता रखा है। युद्ध ने कच्चे तेल के कारखाने को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है, जिसका असर भारत जैसे तेल के निर्यात पर पड़ना तय माना जा रहा है। भारत, जो अपने 85% तेल के लिए अहित पर प्रतिबंध से प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञ का मानना ​​है कि अगर युद्ध और कड़वाहट होती है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस बीच सरकार ने स्थिति पर नजर रखने और ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने की बात कही है। 

इजराइल-ईरान युद्ध का तेल बाजार पर क्या असर है? 

इजराइल द्वारा ईरान की सेना और ऊर्जा पर निशाना साधते हुए हवाई सर्वेक्षण में वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल मचा दी गई है। ब्रेंट क्रूड की सुपरमार्केट के साथ जून 2025 की शुरुआत से $10 प्रति सुपरमार्केट की उथल-पुथल के साथ $78 तक पहुंच गया। यदि युद्ध का आधार विशाल है और होर्मुज जलसंधि जैसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग बाधित हैं, तो मूल्य $120 प्रति शेयर तक जा सकते हैं। होर्मुज जलसंधि विश्व के 20% कच्चे तेल और 25% तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के व्यापार का मार्ग है। इस मार्ग के बंद होने से भारत जैसे देशों को तेल आपूर्ति में भारी रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत पर क्या असर होगा? 

उल्लेखनीय है कि भारत अपने कुल तेल इंजीनियरों का करीब 40 प्रतिशत मध्य पूर्वी देशों जैसे इराक, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब एसीए और कुवैत से किराए पर लेता है। ये सभी व्यापार होर्मुज जलसंधि के मार्ग पर होते हैं। यदि ईरान इस रास्ते को बंद कर देता है तो न केवल तेल की बिक्री होगी, बल्कि माल की कीमत और बीमा लागत में भी वृद्धि हो सकती है। इससे पेट्रोल और डीजल की दुकानों में ₹3 से ₹5 प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल ₹94.77 और डीजल ₹87.67 प्रति लीटर है। उत्पादों में वृद्धि से परिवहन लागत वर्गीकरण, जिसमें प्रभावी खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यक सामान शामिल हैं।

देश के पास है स्वायत्त भंडार 

इस बीच तेल के क्षेत्र को लेकर सिंथेटिक ऊर्जा भंडार के बीच सेंट्रल प्लांट और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत के पास अगले कुछ महीनों के लिए स्वायत्त ऊर्जा भंडार हैं। वे स्वयं मंत्रालय के सचिव और सार्वजनिक क्षेत्र के तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक में शामिल हुए। पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “भारत की ऊर्जा रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दृढ़ता, दृढ़ता और स्थिरता के त्रिकोण को संतुलित करने पर जोर दे रही है। हम स्थिति पर खतरे से नजर रख रहे हैं और किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार हैं।” भारत सरकार के पास वर्तमान में 74 दिनों के लिए तेल भंडार हैं, जिसमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) के पास 40-42 दिन, भारतीय पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (ISPRL) के पास 9 दिन और बाकी भारत शेयर (BPCL) और हिंदुस्तान इंडस्ट्रीज (HPCL) के पास हैं। सरकार का दावा है कि यह भंडार संकट की स्थिति सुनिश्चित करने में जुटा हुआ है।

 

 

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