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तीसरा देश शामिल हुआ तो… इजरायल के साथ जंग पर ईरानी दूतावास आज रात ईरान से कई भारतीय छात्रों की वापसी

ईरान और इजराय युद्ध

नये:  ईरान और इजराइल एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं। इस संघर्ष के बढ़ने की आशंका से पूरी दुनिया चिंतित है। साथ ही आम लोगों के मारे जाने को लेकर भी चिंता की स्थिति बनी रहती है। इस विवाद को लेकर भारत में ईरान के दूतावास ने इजराइल पर आम लोगों को मारने का आरोप लगाया है। साथ ही ईरान दूतावास के उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने कहा कि अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि ईरान परमाणु बम बना रहा है और फिर भी इस संगठन पर हमला किया गया है। साथ ही कहा कि इस जंग में अगर कोई तीसरा देश शामिल हुआ तो अंजाम बुरा होगा।  

ईरान के दूतावास के उप प्रमुख मोहम्मद मोहम्मद जावेद हुसैनी ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम आतंकवादी उद्देश्य के लिए है। साथ ही कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है और उसी अधिकार के तहत हम जवाब दे रहे हैं। 

हम जंग नहीं चाहते लेकिन

शैतान सफ़ा ने कहा कि ईरान के पास कोई परमाणु बम नहीं है। हम कोई जंग नहीं चाहते, लेकिन हम किसी दबाव में नहीं आते. इजराइल की ओर से अमेरिका के इस जंग में शामिल होने की यात्रा पर जा रहे हैं। ऐसे वकत में हुसैनी ने कहा कि ईरान और इजराइल की जंग में कोई तीसरा देश शामिल हुआ तो अंजाम बुरा होगा। हुसैनी ने कहा कि ईरान अभी भी बातचीत की मेज पर है, लेकिन किसी के दबाव में समझौता नहीं करना चाहता। 

भारतीयों के सुरक्षित विक्रेताओं ने कहा:

इस दौरान भारत को धन्न्यवाद देते हुए कहा गया कि ईरान भारत का शुक्रगुजार है, जो ईरान के लोगों की प्रति संवेदना है। इस दौरान हुसैनी ने इजराइल-ईरान संघर्ष के दौरान भारतीयों की सुरक्षा को लेकर कहा कि हम भारतीयों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। विद्वान ने बताया कि ईरान के शहर मशाद में 1000 भारतीयों को ले जाया गया था, जहां से तीन विशेष उत्पाद भारत के रास्ते लाए जाएंगे। इनकी पहली उड़ान आज रात 11:15 बजे भारत अलॉर्म पर।  

इज़रायल के कट्टरपंथियों की निंदा की गई भारत ईरान:

पादरियों ने कहा कि हमसे भारत से उम्मीद है कि ईरान नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के दावे भारत, इज़रायल के दावे की निंदा करेंगे। साथ ही कहा कि ईरान के कई अयोग्य अधिकारियों पर भी हमला किया गया है। बता दें कि 13 जून को ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य बलों को ख़त्म या ख़त्म कर दिया गया था। 13 जून को इज़रायल ने ‘एपरेशन राइजिंग लॉयन’ की शुरुआत की थी, जिसमें कम से कम 14 परमाणु हमले के खतरे को शामिल किया गया था। मारे गए देशों में ईरान के इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के प्रमुख और पुरातनपंथी भौतिक विज्ञान मोहम्मद मेहदी तेहरानची और ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन का नेतृत्व करने वाले परमाणु इंजीनियर फेरेयदून अब्बासी-दवानी भी शामिल थे। 

 

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